हरियाणा में जुआ खेलने वालों पर शिकंजा कसा, तीन महीने में 108 गिरफ्तार

लेखक Rajashree Seal
अनुवादक Moulshree Kulkarni

भारत के उत्तरी राज्य हरियाणा के शहर भिवानी में पुलिस द्वारा अवैध हथियार, नशीले पदार्थ, अवैध शराब और जुआ गतिविधियों पर तीन महीने तक चलाए गए बड़े अभियान के दौरान 108 लोगों को गिरफ्तार किया गया। भिवानी पुलिस द्वारा चलाए गए अभियान क्षेत्र में अपराध पर अंकुश लगाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा थे।

पुलिस अधीक्षक (SP) Nitish Agrawal ने बताया कि आर्म एक्ट के तहत 17 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 33 लोगों की गिरफ्तारी हुई। गिरफ्तार किए गए लोगों से पुलिस ने 22 अवैध पिस्तौल, एक रिवॉल्वर, एक बन्दूक और 33 कारतूस बरामद किए। इसी के साथ मादक पदार्थों की तस्करी पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत कार्रवाई की। इसके तहत 15 मामले दर्ज किए गए और 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

जुए के अड्डों पर छापेमारी

अवैध जुए पर लगाम लगाने के लिए एक और कदम उठाते हुए पुलिस ने जुआ अधिनियम के तहत सात मामले दर्ज किए और 18 लोगों को गिरफ्तार किया। जुए के अड्डों से ₹91,840 (करीब US $1,100) की राशि बरामद की गई। SP Agrawal ने बताया कि जिले में अवैध हथियार, ड्रग्स, शराब या जुए में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।

हरियाणा का नया जुआ कानून

यह कार्रवाई हरियाणा सार्वजनिक जुआ रोकथाम विधेयक, 2025 पारित होने के लगभग एक महीने बाद की गई है। नए पारित विधेयक का उद्देश्य राज्य में अवैध जुआ और सट्टेबाजी पर अंकुश लगाना है। इसमें सार्वजनिक स्थान या आम जुआ घर में जुआ खेलते पाए जाने पर एक साल तक की कैद या ₹10,000 (लगभग US$120) तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

जुआ घरों के मालिकों या वित्तपोषकों को तीन से पांच साल तक की कैद और 1 लाख रुपये (लगभग US$1,200) तक का जुर्माना हो सकता है। कानून में खेलों में मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग के लिए भी तीन से पांच साल की जेल और 5 लाख रुपये (लगभग US$6,000) से कम नहीं के जुर्माने का प्रावधान है। संगठित जुआ सिंडिकेट के सदस्यों को भी यही सजा भुगतनी पड़ती है।

अधिनियम के तहत अपराध करते हुए पाया गया कोई भी व्यक्ति जो अपनी पहचान बताने से इनकार करता है या गलत जानकारी देता है, उसे तीन साल तक की कैद या ₹10,000 (लगभग US$120) का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

कानून किसी भी कार्यकारी मजिस्ट्रेट या राजपत्रित पुलिस अधिकारी को किसी सब-इंस्पेक्टर या उच्च-रैंकिंग अधिकारी को विश्वसनीय जानकारी के आधार पर परिसर में प्रवेश करने और तलाशी लेने का अधिकार देता है। अधिकारी बिना वारंट के गिरफ़्तार कर सकते हैं और जुए के लिए इस्तेमाल किए गए पैसे और सामान जब्त कर सकते हैं।

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