40 ई-स्पोर्ट्स कंपनियों के एक ग्रुप ने भारत में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को वीडियो और ऑनलाइन गेम्स के बीच रेगुलेटरी अंतर की मांग का अनुरोध करने के लिए लिखा है। कंपनियां ऐसे फ्रेमवर्क देखना चाहती हैं जो वीडियो गेम और ऑनलाइन गेम के बीच नियमों को परिभाषित करे। हितधारकों का कहना है कि जब वीडियो गेम उद्योग की बात आती है तो स्पष्टता की आवश्यक है, ताकि वीडियो और रियल मनी गेम्स(असली पैसे वाले गेम्स) को अलग-अलग वर्गीकृत किया जा सके।
मंत्रालय भारतीय ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को रेगुलेट करने के लिए एक सुधार का प्रस्ताव कर रहा है। मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, “अगर हम इस बात को हाईलाइट नहीं करते हैं कि दांव लगाकर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम और वीडियो गेम दो अलग-अलग उत्पाद, उद्योग, इकोसिस्टम और रेगुलेशन के विषय हैं, तो हम अपने कर्तव्य में असफल होंगे। हमें उम्मीद है कि MeitY और अन्य सभी रेगुलेटर बारीकियों का ध्यान रखेंगे और उन्हें उचित तरीके से ट्रीट करेंगे।”
सूचना प्रौद्योगिकी दिशानिर्देशों और डिजिटल मीडिया आचार संहिता में प्रस्तावित सुधार, मौजूदा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में संशोधन के रूप में होंगे। सरकार ने 17 जनवरी 2023 की समय सीमा के साथ आम जनता से ड्राफ्ट नियमों पर टिप्पणियां मांगी। ड्राफ्ट संशोधन पर एक विस्तृत विश्लेषण प्रकाशित किया जाएगा। गेमिंग उद्योग खिलाड़ी सुरक्षा को संबोधित करने वाले फ्रेमवर्क को बनाने के लिए वीडियो और ऑनलाइन गेम्स के लिए स्वतंत्र सेल्फ-रेगुलेटरी निकाय स्थापित करने का प्रस्ताव रख रहा है।
प्रस्तावित ड्राफ्ट नियम उन खेलों को भी कवर करते हैं जिनमें जीते गए इनाम वस्तु के रूप में देय होते हैं। सुधार के लिए आवश्यक है कि सभी ऑनलाइन गेम नए संशोधन के तहत बनने वाले सेल्फ-रेगुलेटरी निकाय के साथ रजिस्टर हों। ड्राफ्ट संशोधन पर एक विस्तृत विश्लेषण हमारी ओर से जल्द आपको मिलेगा।
बैकग्राउंड
भारत के गेमिंग उद्योग का मूल्य 930 मिलियन डॉलर है और यह दुनिया में नंबर एक स्थान पर है। देश में 560 मिलियन से अधिक रजिस्टर्ड इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और यह विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपभोक्ता है।
सरकार 2024 के अंत तक ऑनलाइन गेमिंग के 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगा रही है। पिछले दो वर्षों में ऑनलाइन गेमिंग में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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